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भारत-चीन रिश्तों में नरमी, एससीओ में शीर्षस्तरीय भेंट की उम्मीद

तारीख: 29 अगस्त 2025 सीमा तनाव घटाने के लिए भारत और चीन व्यावहारिक कदमों पर लौटे हैं—प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली, सीमा हॉटलाइन का विस्तार और ठपी पड़ी व्यापार-सुविधा वार्ताओं का पुनरारंभ। रणनीति “क्रमबद्धता” पर टिकी है: ज़मीन पर छोटे-छोटे सत्यापनीय कदम, साथ में उच्च-स्तरीय संवाद जारी। एससीओ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाक़ात प्रतीकात्मक भले हो, पर गति बनाए रखने में सहायक मानी जा रही है। दवा-एपीआई, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, टनल-बोरिंग उपकरण और रेयर-अर्थ आपूर्ति से जुड़े उद्योगों ने सकारात्मक संकेतों का स्वागत किया। सुरक्षा समुदाय का आग्रह है कि राजनीतिक गर्माहट के साथ वास्तविक, मापनीय डी-एस्केलेशन ज़रूरी है। भारत का दृष्टिकोण व्यावहारिक है—अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच आर्थिक जोखिमों का विविधीकरण, पर हिमालय और हिंद-महासागर में मूल हितों पर समझौता नहीं। विश्लेषक जोरदार सफलता नहीं, बल्कि क्रमिक प्रगति की उम्मीद करते हैं; फिर भी आंशिक स्थिरता लॉजिस्टिक्स लागत और बीमा प्रीमियम घटा सकती है, जिससे बाह्य क्षेत्र को सहारा मिलेगा।

संसद से पास “इंडियन पोर्ट्स बिल”, समुद्री प्रशासन को आधुनिक ढांचा


संसद ने मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025 को मंजूरी दी - द इकोनॉमिक टाइम्स
तारीख: 18 अगस्त 2025
राज्यसभा ने औपनिवेशिक-युग के कानून की जगह इंडियन पोर्ट्स बिल को मंज़ूरी दी, जिसका लक्ष्य बड़े-छोटे सभी बंदरगाहों में सुरक्षा, पर्यावरण और संचालन मानकों का एकीकरण है। नए ढांचे में राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त करना, राष्ट्रीय समन्वय तंत्र बनाना और ड्रेजिंग, पायलटेज व ऑयल-स्पिल प्रतिक्रिया पर स्पष्ट जवाबदेही शामिल है। उद्योग जगत इसे 2047 समुद्री-दृष्टि का मूलभूत आधार मान रहा है—गहरे ड्राफ्ट, तेज़ टर्नअराउंड और मल्टीमोडल कनेक्टिविटी से लॉजिस्टिक्स लागत वैश्विक स्तर के करीब लाने का प्रयास। राज्यों को हरित बंदरगाह, तटीय शिपिंग और शिप-रिपेयर क्लस्टर में निवेश-स्पष्टता की उम्मीद है। लाभों की रफ़्तार क्रियान्वयन—मानव संसाधन, डिजिटलीकरण और विवाद निपटान—पर निर्भर करेगी।

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