Skip to main content

Featured

भारत-चीन रिश्तों में नरमी, एससीओ में शीर्षस्तरीय भेंट की उम्मीद

तारीख: 29 अगस्त 2025 सीमा तनाव घटाने के लिए भारत और चीन व्यावहारिक कदमों पर लौटे हैं—प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली, सीमा हॉटलाइन का विस्तार और ठपी पड़ी व्यापार-सुविधा वार्ताओं का पुनरारंभ। रणनीति “क्रमबद्धता” पर टिकी है: ज़मीन पर छोटे-छोटे सत्यापनीय कदम, साथ में उच्च-स्तरीय संवाद जारी। एससीओ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाक़ात प्रतीकात्मक भले हो, पर गति बनाए रखने में सहायक मानी जा रही है। दवा-एपीआई, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, टनल-बोरिंग उपकरण और रेयर-अर्थ आपूर्ति से जुड़े उद्योगों ने सकारात्मक संकेतों का स्वागत किया। सुरक्षा समुदाय का आग्रह है कि राजनीतिक गर्माहट के साथ वास्तविक, मापनीय डी-एस्केलेशन ज़रूरी है। भारत का दृष्टिकोण व्यावहारिक है—अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच आर्थिक जोखिमों का विविधीकरण, पर हिमालय और हिंद-महासागर में मूल हितों पर समझौता नहीं। विश्लेषक जोरदार सफलता नहीं, बल्कि क्रमिक प्रगति की उम्मीद करते हैं; फिर भी आंशिक स्थिरता लॉजिस्टिक्स लागत और बीमा प्रीमियम घटा सकती है, जिससे बाह्य क्षेत्र को सहारा मिलेगा।

अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता टली, नई समय-सारणी पर विचार


अमेरिका-भारत व्यापार समझौता उड़ान भरने को तैयार, जानने के लिए पढ़िए ये  खबर...

तारीख: 16 अगस्त 2025
नई दिल्ली में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएँ टैरिफ तनाव के बीच स्थगित कर दी गईं। दोनों पक्षों ने “तकनीकी परामर्श” के बाद नई समय-सारणी तय करने की इच्छा जताई। निर्यातकों ने मानकों और बाज़ार पहुँच पर पूर्वानुमेयता की मांग दोहराई, जबकि निवेशक डेटा, डिजिटल ट्रेड और क्लीन-टेक सप्लाई चेन के नियमों में स्पष्टता चाहते हैं। संकेत हैं कि प्रगति बनाए रखने हेतु कुछ कार्य-समूह बैठकें वर्चुअल होंगी। निकट-काल में कंपनियाँ ग्राहक-विविधीकरण और जहाँ संभव हो वहाँ रुपये-मूल्यित व्यापार का परीक्षण कर रही हैं। व्यापक साझेदारी—रक्षा, तकनीक, शिक्षा—गतिमान है, पर व्यापार ट्रैक को झटकों से बचाने के लिए सावधान तालमेल की दरकार है।

Comments