Skip to main content

Featured

भारत-चीन रिश्तों में नरमी, एससीओ में शीर्षस्तरीय भेंट की उम्मीद

तारीख: 29 अगस्त 2025 सीमा तनाव घटाने के लिए भारत और चीन व्यावहारिक कदमों पर लौटे हैं—प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली, सीमा हॉटलाइन का विस्तार और ठपी पड़ी व्यापार-सुविधा वार्ताओं का पुनरारंभ। रणनीति “क्रमबद्धता” पर टिकी है: ज़मीन पर छोटे-छोटे सत्यापनीय कदम, साथ में उच्च-स्तरीय संवाद जारी। एससीओ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाक़ात प्रतीकात्मक भले हो, पर गति बनाए रखने में सहायक मानी जा रही है। दवा-एपीआई, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, टनल-बोरिंग उपकरण और रेयर-अर्थ आपूर्ति से जुड़े उद्योगों ने सकारात्मक संकेतों का स्वागत किया। सुरक्षा समुदाय का आग्रह है कि राजनीतिक गर्माहट के साथ वास्तविक, मापनीय डी-एस्केलेशन ज़रूरी है। भारत का दृष्टिकोण व्यावहारिक है—अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच आर्थिक जोखिमों का विविधीकरण, पर हिमालय और हिंद-महासागर में मूल हितों पर समझौता नहीं। विश्लेषक जोरदार सफलता नहीं, बल्कि क्रमिक प्रगति की उम्मीद करते हैं; फिर भी आंशिक स्थिरता लॉजिस्टिक्स लागत और बीमा प्रीमियम घटा सकती है, जिससे बाह्य क्षेत्र को सहारा मिलेगा।

भारत पर अमेरिका का 50% आयात शुल्क, बाज़ारों में उथल-पुथल

 अमेरिका ने आयात शुल्क पर डब्ल्यूटीओ में परामर्श के भारत के अनुरोध को  स्वीकार नहीं किया: मंत्री - द इकोनॉमिक टाइम्स

तारीख: 27 अगस्त 2025
अमेरिका ने भारतीय आयातों के एक बड़े हिस्से पर 50% शुल्क लागू कर दिया, जिसकी वजह रूस से कच्चे तेल की खरीद और उससे जुड़ी “राष्ट्रीय सुरक्षा” बताई गई। घोषणा के तुरंत बाद रुपये में तीखी गिरावट आई और शेयर बाज़ार में निर्यात-मुखी क्षेत्रों—वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा, मशीनरी और समुद्री उत्पाद—में भारी बिकवाली देखी गई। भारत सरकार ने इसे “असमय और अनुचित” बताया, साथ ही कहा कि ऊर्जा विविधीकरण हमारी आर्थिक आवश्यकता है। उद्योग संगठनों ने चेताया कि यदि शिपमेंट्स को यूरोप, पूर्वी एशिया और खाड़ी बाज़ारों की ओर शीघ्रता से मोड़ा नहीं गया तो निकट भविष्य में छंटनियों का जोखिम है। विशेषज्ञों के अनुसार तिमाही अस्थिर रह सकती है, परंतु मज़बूत घरेलू मांग, नरम कोर महंगाई और स्वस्थ बैंकिंग तंत्र कुछ सहारा देंगे। केंद्र सरकार क्रेडिट गारंटी, निर्यात प्रोत्साहन व गैर-अमेरिकी भागीदारों के साथ तेज़ वार्ताओं जैसे उपायों पर विचार कर रही है। रणनीतिक रूप से, यह प्रकरण लॉजिस्टिक्स उन्नयन और “चाइना+1/यूरोप+1” निर्यात रणनीति को गति देगा, जबकि कंपनियाँ सप्लाई चेन को पुनर्संतुलित कर टैरिफ-जोखिम घटाने की कोशिश करेंगी।


Comments